मूवी: बहारें फिर भी आएंगी
गायक: मुहम्मद रफ़ी
संगीतकार: ओ पी नय्यर
गीतकार: अनजान
आप के हसीं रुख पे आज नया नूर है,
मेरा दिल मचल गया तो मेरा क्या कसूर है ,
आपकी निगाह ने कहा तो कुछ ज़रूर है
मेरा दिल मचल गया तो मेरा क्या कसूर है ,
खुली लटों की छाँव में खिला खिला ये रूप है,
घटा से जैसे छन रही, सुबह सुबह की धूप है ,
जिधर नज़र मुड़ी उधर सुरूर ही सुरूर है
मेरा दिल मचल गया तो मेरा क्या कसूर है
झुकी झुकी निगाह में भी हैं बला की शोखियाँ,
दबी दबी हँसी में भी तड़प रही हैं बिजलियाँ ,
शबाब आप का नशे में खुद ही चूर चूर है ,
मेरा दिल मचल गया तो मेरा क्या कसूर है,
जहाँ जहाँ पड़े क़दम, वहां फ़िज़ां बदल गयी,
के जैसे सरबसर बहार आप ही में ढल गयी
किसी में ये कशिश कहाँ जो आप में हुज़ूर है
मेरा दिल मचल गया तो मेरा क्या कसूर है,
आप के हसीं रुख पे आज नया नूर है,
मेरा दिल मचल गया तो मेरा क्या कसूर है ,
आपकी निगाह ने कहा तो कुछ ज़रूर है
मेरा दिल मचल गया तो मेरा क्या कसूर है ,