मूवी: जीने की राह
गायक: मुहम्मद रफ़ी
संगीतकार: लक्ष्मीकांत प्यारेलाल
गीतकार: आनंद बक्शी
आने से उसके आये बहार,
जाने से उसके जाए बहार,
बड़ी मस्तानी है, मेरी महबूबा
मेरी ज़िंदगानी है मेरी महबूबा
गुनगुनाये ऐसे जैसे बजते हों घुँघरू कहीं पे,
आके पर्बतों से जैसे गिरता हो झरना जमीं पे,
झरनों की मौज़ है वो, मौज़ों की रवानी है
मेरी महबूबा
इस घटा को मैं तो उसकी आँखों का काजल कहूँगा,
इस हवा को मैं तो उसका लहराता आँचल कहूँगा,
हूरों की मल्लिका है, परियों की रानी है
मेरी महबूबा
बीत जाते हैं दिन, कट जाती हैं आँखों में रातें,
हम ना जाने क्या क्या करते रहते हैं आपस में बातें ,
मैं थोड़ा दीवाना, थोड़ी सी दीवानी है
मेरी महबूबा
बन संवर के निकले आये सावन का जब जब महीना,
हर कोई ये समझे होगी वो कोई चंचल हसीना,
पूछो तो कौन है वो, रुत ये सुहानी है
मेरी महबूबा